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4 दिस॰ 2008

हे कान्हा अब फिर से आओ

हे कान्हा अब फिर से आओ

हे कान्हा अब फिर से आओ
आकर भारत भू बचाओ
अपना दिया हुआ वचन निभा दो
आकर दुनिया को दिखला दो
आज तुम्हे हर आँख निहारे
हर जन की आत्मा पुकारे
एक कन्स के हेतु गिरधर
आए थे तुम भारत भू पर
राक्षसों का करके सफाया
तुमने अपना धर्म निभाया
देखो यह आतंकी रूप
कितना उसका चेहरा कुरूप
फैला रहे आतंकवाद
करने भारत भू बर्बाद
मारें निहत्थे लोग नादान
नही सुरक्षित किसी की जान
जिस धरती पर तुम खुद आए
गीता के उपदेश सुनाए
जिस भूमि का हर कण पावन
आ रहे वहाँ आतंकी रावण्
भरे हुए अब सबके नैन
नही किसी के मन मे चैन
हे दाऊ के भैया आओ
दाऊद के भाई समझाओ
नही तो समझाओ हर अर्जुन
मार मुकाएँ हर दुर्योधन
भेजे बहुत ही शान्ति दूत
पर न माने कोई कपूत
अहंकार वश मर जाएँगे
खत्म वो कुनबा कर जाएँगे
पर न समझेंगे यह बात
सत्य तो है हमारे साथ
सच्चाई की होगी जीत
नही फलेगी बुरी कोई नीत
दुश्मन के घर हम जाएँगे
अपना झण्डा फहराएँगे
हम भारत माँ की सन्तान
माँ के लिए दे देन्गे जान
करना कान्हा बस इतना करम
नही खत्म हो मानव धर्म
तुम सत्य के रथ पर रहना
हर अर्जुन को बस यह कहना
अपना सच्चा करम निभाओ
मन मे आशंका न लाओ
बस तुम इतना करो उपकार
न हों हमारे बुरे विचार
बुरा नहीं कोई इन्सान
सबमे बसता है भगवान
बुराई को हम जड से मिटाएँ
फर्ज़ की खातिर हम मिट जाएँ
तुम बस सत्य रथ को चलाना
अपना दिया हुआ वचन निभाना
देता है इतिहास गवाही
जब भी कोई हुई तबाही
सत्यवादी तब-तब कोई आया
आकर अत्याचार मिटाया
फिर से अत्याचार मिटाओ
हे कान्हा अब फिर से आओ

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2 टिप्‍पणियां:

makrand ने कहा…

जब भी कोई हुई तबाही
सत्यवादी तब-तब कोई आया
आकर अत्याचार मिटाया
फिर से अत्याचार मिटाओ
हे कान्हा अब फिर से आओ
bahut sunder, sandesh bhi diya aapne kavita mein

shivraj gujar ने कहा…

मारें निहत्थे लोग नादान
नही सुरक्षित किसी की जान
bahut badiya. aaj ki sachhai.
kabhi mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi aayen