मेरी आवाज मे आपका स्वागत है |दीजिए मेरी आवाज को अपनी आवाज |

Website templates

13 जन॰ 2009

माँ (बारह क्षणिकाएँ)

माँ (बारह क्षणिकाएँ)


आजकल माँ
बहुत बतियाती है
जब भी फोन करो
आस-पडोस की भी बाते सुनाती है
२.
न जाने क्यो लगता है
माँ की आँखे नम है
उसे कही न कही
कुछ खो देने का गम है
३.
सुबह सबसे पहले उठ कर
सारा काम निपटाती है
मेरी काम वाली आई कि नही
इसकी चिन्ता लगाती है
४.
कहती है आजकल
पेट खराब है
और मेरी आवाज़ को
हाजमौला बताती है
५.
लगता है अभी आएगी
ले लेगी मुझे गोदि मे
और फिर प्यार से
मेरे सर मे उन्गलियाँ चलाएगी
६.
कई बार
चुप सी रहती है
मुँह से कुछ नही कहती
पर आँखे बहुत कुछ बोलती है
७.
हर रोज
मुझे फोन लगाती है
खाना खाया कि नही
याद दिलाती है
८.
अपनी पीडा के आँसु
पलको मे छुपा कर
मेरी पीडा मुझसे उगलवाती है
९.
खुद तो सारी उम्र
न जाने कितना ही त्याग किया
मेरे छोटे से समझौते को
बलिदान बताती है
१०.
आजकल माँ
सपनो मे आकर
मुझे लोरी सुनाती है
हर जख्म को सहलाती है
११
सबसे प्यारी
सबसे अलग
ममता की मूर्त्त
माँ तुम ऐसी क्यो हो ?
१२.
माँ आजकल
तुम बहुत याद आती हो
जी चाहता है अभी पहुँच जाऊँ
इतना स्नेह जताती क्यो हो ?

*************************

4 टिप्‍पणियां:

makrand ने कहा…

bahut sunder rachanye seema ji

Unknown ने कहा…

माँ आजकल
तुम बहुत याद आती हो
जी चाहता है अभी पहुँच जाऊँ
इतना स्नेह जताती क्यो हो ?

bahut bhaawok rachna.......

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

क्या कहूं ऐसा लगता है दिल की बातें लिख दी हैं जैसे ममता के आँचल पर...
अनमोल हैं...
आँख भर आई.......


अक्षय-मन

DUSHYANT ने कहा…

bahut pyaaree kavitaa..achchha bhar kahna kaafee naheen hai