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17 फ़र॰ 2009

वह सुंदर नहीँ हो सकती

वह सुंदर नहीँ हो सकती


अपनी ही सोचों में गुम
एक
मध्मय-वर्गीय परिवार की लड़की
सुशील
गुणवती
पढ़ी-लिखी
कमाऊ-घरेलू
होशियार
संस्कारी
ईश्वर में आस्था
तीखा नाक
नुकीली आँखें
चौड़ा माथा
लंबा कद
दुबली-पतली
गोरा-रंग
छोटा परिवार
अच्छा खानदान
शौहरत
इज़्ज़त
जवानी
सब कुछ...........
सब कुछ तो है उसके पास
परंतु
परंतु, वह सुंदर नहीँ हो सकती
क्यों?
क्योंकि..........................
वक्त और हालात के
थपेड़ों के
उसके चेहरे पर निशान हैं

2 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया!!

क्योंकि..........................
वक्त और हालात के
थपेड़ों के
उसके चेहरे पर निशान हैं

अनिल कान्त ने कहा…

sachchai uker dii aapne to....achchhi kavita