मेरी आवाज मे आपका स्वागत है |दीजिए मेरी आवाज को अपनी आवाज |

Website templates

27 फ़र॰ 2009

एयरो इण्डिया शो की झलकियां

नमस्कार ,इस बार ११ फरवरी से १५ फरवरी तक बंगलोर में हुए सातवें एयरो इण्डिया शो में मुझे भी एक दिन जाने का सौभाग्य मिला एयरो इण्डिया शो के लिए पहले काफी सुन रखा था , लेकिन देखने का अवसर पहली बार मिला क्योंकि हमने टिकट दस दिन पहले से ही बुक करवा ली थी ,इस लिए सामने से देखने का उत्साह कुछ ज्यादा ही था क्योंकि शो शुरु होने का समय १० बजे था और यलहंका एयर फोर्स स्टेशन हमारे घर से लगभग ३० कि. मी. है , बंगलोर का ट्रैफिक , दूसरा शनिवार छुट्टी का दिन और ऊपर से एयरो इण्डिया शो ,इसलिए १४ फरवरी को हम यह शो देखने के लिए सुबह सुबह ही घर से निकल पडे , साथ मे खाने-पीने का कोई भी सामान ले जाने की मनाही थी और इतनी सुबह-सुबह कुछ खाने की आदत भी नहीं है तो सोचा शो शुरु होने से पहले पहुंचकर आराम से पेट पूजा करेगे , हुआ इसके बिल्कुल विपरीत ही बंगलोर की भीड्-भाड भरी सडकों पर ट्रैफिक का सामना करते और वायु और ध्वनि प्रदूषण को झेलते हम लगभग ११ बजे जब एयर फोर्स स्टेशन पहुंचे तो आधी हालत तो हमारी खराब हो चुकी थी और फिर सैंकडों लोगों की लम्बी-लम्बी पंक्तियों में लगकर तीन जगह सुरक्षा चैकिन्ग , वो भी खाली पेट , हम १२:३० बजे जब गन्तव्य स्थल पर पहुंचे तो सुबह का शो समाप्त हो चुका था जानकर बहुत दुख हुआ कि जिसे देखने के लिए मन में इतने उत्सुक थे वो देख भी नहीं पाए लेकिन कुछ ही मिनटों मे हमें पता चला कि शाम के समय वही सुबह वाला शो फिर से दोहराया जाएगा तो कुछ राहत मिली और समय भी मिल गया कि हम आराम से बैठ कर कुछ खा-पी सकें और वहां पर जो २५ देशों की विमान कंपनियों द्वारा जो प्रदर्शनियां लगाई गई हैं वो भी देख सकें , भोजनालय में भी हजारों लोगों की भीड को चीरते हुए हम जब पहुंचे तो नॉन वेज ही खाने को दिखा ,क्योंकि हम प्योर वेज हैं तो केवल वेज बिरयानी ही मिली वो भी बिना रायता/ दही के भूख लगी हो तो कुछ भी चलता है , हम वही खाकर थोडा इधर-उधर घूमे और २:३० बजे फिर से शो शुरु हुआ लाखों लोगों की भीड ,कडकती धूप , गर्मी , खुला आसमान और बैठने के लिए कोई जगह न होने पर बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पडा जब भी कोई विमान आता तो उसकी भयानक आवाज सामने कोई भी अपने कान बन्द करने को मजबूर था लेकिन जब आसमान की ऊंचाई पर उलटे-सीधे , टेढे-मेढे कई तरह के दृश्य दिखाए जाते तो हृदय कांप कर रह जाता ऊपर आसमान रूपी नीलसागर मे विमान मछलियों की तरह अठखेलियां करते नजर आते और पूरा वातावरण तालियों की गडगडाहट से गूँज उठता जब एक एफ-१८ विमान नील-गगन में पांच कि.मी. की ऊंचाई तक तीर की भान्ति सीधे गया और देखते ही देखते आंखों से ओझल हो गया फिर कुछ ही क्षणों मे वापिस दिखाई दिया तो ऐसा लगा मानो कोई मीन सागर से ऊछल कर खाना झपट्ने की चेष्टा से कूद रही हो सारा वातावरण भाव विभोर हो गया जब छ्: विमान इक्कठे आए और भारतीय तिरंगे के रंग पूरे आसमान में बिखेर दिए चारों तरफ केवल तीन रंग ही नजर आ रहे थे और तब वहां मौजूद लाखों लोगों के भाव देखते ही बनते थे कौन कहता है हमारे देश-वासियों को अपने देश से प्यार नहीं अपने तिरंगे को आसमान में लहराता देख जो देश-भक्ति का ज़ज़्बा देखने को मिला , उसे केवल महसूस किया जा सकता था ,शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता उसके बाद एच. ए. एल के चार हैलीकॉपटर आए और अपने करतब दिखा कर सबको मंत्र-मुग्ध कर दिया इतने में पांच बज गए और शो स्मापत होने का समय हो गया हमारे साथ क्योंकि मेरा तीन साल का बेटा था तो हम भीड-भाड से बचने के लिए पंद्रह मिनट पहले ही वहां से निकल पडे ऐसे दृश्यों को हमारा क्या शायद किसी का भी कैमरा कैद करने में सक्षम न था फिर भी हम जितना उस दृश्यों को समेट पाए वो आपके साथ भी बांटना चाहती हूँ ताकि अगली बार आप भी समय मिले तो अवश्य देखें इस शो के द्र्श्य तो दिमाग पर छप चुके हैं और लगता है कि बंगलोर में रहते हुए भी हमने अगर यह शो नहीं देखा होता तो बहुत सारे अनुभवों से हम अनभिज्ञ ही रह जाते उम्मीद है कि इन तस्वीरों के माध्यम से आप थोडा-बहुत तो एयरो इण्डिया शो को महसूस कर पाएंगे