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18 मार्च 2010

माला की माया- हास्य कविता


माला की माया ने
ऐसा बवंडर मचाया
हर सांसद क्या
आम जन भी चिल्लाया
चौंधिया गईं आंखें
कैमरों की भी
देखते ही माला की चमक
पास में होते तो
शायद पकडते लपक
फ़टी की फ़टी आंखें और
मुंह में पानी भर आया
माला की माया ने
ऐसा रंग दिखाया
कि हर कोई ललचाया
दूर ही के दर्शन से
मैं बेहोश हो गई
ऐसी ही माला के
सपनों में खो गई
मैनें देखा.........
मुझे पहनाई एक माला
अंधेरे बंद कमरे में
माया का उजाला
नोटों में खनक होती है
सुना था
पर इतनी चमक को
पहले न देखा था
सबकी जुबां पर
बस मेरा ही नाम
पूछता हर जन
माला का दाम
मैनें सोचा न था
एक माला
इतना बडा
काम कर जाएगी
कुछ ही पलों में
मेरा नाम कर जाएगी
फ़िर अचानक उठे शोर से
मैं घबराई
माला छुपाई
कहां जाऊं ?समझ न पाई
इतने में एक नेता जी ने
घंटी बजाई
झट से माला तोडने का
सलाह सुनाई
एक नकली नोटों की माला
मेरे घर भिजवाई
बात मुझे अभी भी
समझ न आई
असली माला को
जमीं निगल गई
या आसमान खा गया
मेरी आंखों में
अंधेरा छा गया
मैनें पूछा नेता जी
यह क्या बदमाशी है ?
माला को छुपा देने में
कौन सी शाबाशी है ?
असली माला देखे बिन
मुझे नींद नहीं आती है
यह नकली माला
मुझे नहीं भाती है
जब छुपानी ही थी
तो पहनाई क्यों ?
जब तोडनी ही थी
तो बनवाई क्यों ?
इतने कारीगरों नें
महान कार्य जो किया है
उनको अच्छा-खासा
मेहनताना भी दिया है
फ़िर तुमनें यूं क्यों
माला को गुमाया है ?
मीठी निद्रा में सोते-सोते
मुझे क्यों जगाया है
मुझपर तो माया का नशा है
नोटों की सेज़ पर सोने का
अपना ही मजा है ।
नेता झल्लाया
फ़िर तीखी वाणी में समझाया
तुम्हें हीरों की माला पहनाएंगे
उन चमचमाते हीरों को
फ़ूलों में छुपाएंगे
किसी की बुरी नज़र
नहीं लग पाएगी
बहन जी
हमारी इज्जत बच जाएगी
फ़ूलों से खाक दिखाऊंगी
अपनी माया के जलवे
जो दिखाने में
घिस जाते हैं तलवे
अरे ! मैं इज्जत से
क्या खाक कमाऊंगी ?
माला न मिली तो
मैं जीते जी मर जाऊंगी
जलदी से दूसरी माला बनवाओ
और मेरे गले में पहनाओ
उसकी कीमत और
अपनी औकात बता दो
जलदी से चमचमाती
माला बना दो
नेता जी ने माला मंगवाई
फ़िर से मेरे गले में पहनाई
मैनें देखा हाथ से छूकर
बिखर गए मोती
माला के गिरकर
हडबडा कर आंखें खोली
और अपनी ही
किस्मत पर रो ली
कल ही तो खरीदकर लाई थी
अभी तक किसी
सहेली को भी न दिखाई थी
और कर दी मैनें ऐसी नादानी
पचास रुपए पर फ़ेर दिया पानी
माला के मोती बिखर गए
मेरे सपने टूट गए
बिखरे मोतियों को
कचरा दान में फ़ैंकवाया
फ़िर लाख प्रयास किए
माला का सपना न आया

5 टिप्‍पणियां:

Amitraghat ने कहा…

बढ़िया व्यंग........"
amitraghat.blogspot.com

kunwarji's ने कहा…

mala ki maaya padhne
mai bhi chala aaya,
aaya to paaya
.
.
.
.
.
.
mtlb mai maaya me oh sorry mala me kho gya...
bahoot khoob..
kunwar ji,

कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा…

अच्छी...हास्य कविता....
..............

मायावती की माला, आधी बिल्ली और इंजीनियर
http://laddoospeaks.blogspot.com

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया व्यंग...माया की माया...

संजय भास्‍कर ने कहा…

अच्छी...हास्य कविता....