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16 अग॰ 2013

कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे (poem)


 

कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे
कहने लगी , कुछ प्रश्नों के मुझको जवाब दे
मैंने कहा माँ तुम तो स्वयं ज्ञान की दाता
कौन सा सवाल , जो तुमको भी न आता ?
मैं अदना सी अनजान सी , कुछ भी तो न जानूं
फिर भी हैं क्या सवाल ? एक बार तो सुनूं

पहला सवाल -फ़ैली क्यों भारत में भुखमरी?
आज़ाद भारत में भी क्यों फ़ैली है बेकारी ?
क्यों सोन चिडिया भूल रही अपने ही रास्ते ?
मर रहा क्यों आदमी पैसे के वास्ते ?
लालच में अंधा हो के क्यों ईमान वार दे ?
कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे |

दूसरा सवाल- ज्ञान खो गया किधर ?
भ्रष्टाचार दीखता क्यों मैं देखती जिधर ?
गलियों में पनपे बाबा , कहते खुद को जग-गुरु
भारत में हो गयी ये कैसी सभ्यता शुरू ?
कहाँ गयी वो माँ जो अच्छे संस्कार दे |
कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे |

तीसरा सवाल- जल रही क्यों बेटियाँ ?
रानी बनाकर राज कर रही क्यों चेटियाँ ?
क्यों माँ लगाती मोल स्व बेटे का इस तरह
व्यापारी बेचता हो कुछ सामान जिस तरह ?
क्यों बेटियों को जन्म से पहले ही मार दे ?
कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे



चौथा सवाल – बोलो ये है जाति-पाति क्या ?खो गयी क्यों आज सारी कोमलता दया ?क्यों धर्म के नाम पर भगवान को बांटा ?मानवता के नाम पर क्यों चुभ रहा काँटा ?शर्मो-हया के गहने नारी क्यों उतार दे ?कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे


पाँचवें सवाल ने मुझको हिला दिया |कहते हुए उसनें तो माँ को भी रुला दिया |कहती समझ न पाई मैं -नेता हैं चीज क्या ?धब्बा राजनीति पे , जिसनें लगा दिया |कहते स्वयं को सेवक . पर कुर्सी के लालचीसाम , दाम,दंड , भेद की न है कमी |कुर्सी बिना न रह सकें , ऐसा भी मोह क्या ?क्यों दीन दुखियों पर इन्हें आती नहीं दया ?इनकी चले तो देश का सर्वस्व वार दें |कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे


सवाल है छटा , है लगता मुझको अटपटा |
खो गयी कहाँ -हरी सावन की थी घटा ?
सुन्दरता भी कुदरत की क्यों नष्ट हो रही ?
साँस लेने को भी वायु शुद्ध न रही |
मानव भू पे गन्दगी को ,क्यों पसार दे ?
कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे



ध्यान से सुनो -ये मेरा प्रश्न सातवाँ |
मैंने कहा कर जोड़ -माँ मुझको करो क्षमा |
अब कहाँ हनुमान औ श्रीराम है बसा ,
इसीलिए सर उठा रही , धरती पे अब सुरसा
दे दो हमें वो शक्ति , जो सब-कुछ संवार दे |
कल रात मेरे पास आ गयी माँ शारदे
कहने लगी , कुछ प्रश्नों के मुझको जवाब दे

1 टिप्पणी:

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

is rachna ke jariye aapki lekhni ne bahut kuchh kah diya. kya ham kabhi unke prashno ka javaab de bhi paayenge--- shandaar avam bhav purn prastuti--