बिखर गया जो तार-तार
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमने जो
विश्वास कहां से लाऊं
न दर्द रहा दिल में कोई
न रही कोई इसमें धडकन
पाहन से सीने में तो अब
न विचलित होता है ये मन
न आह रही इसमें कोई
तो प्यास कहां से लाऊं
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
नैनों से नीर नहीं बहता
न भाती इनको सुन्दरता
न भाव दिखें गहरे इनको
न रही है इनमें चंचलता
न इठलाते इतराते ये
तो पास कहां से आऊं
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
न भाव रहा न ही भंगिमा
न रही वो पहले सी गरिमा
न दर्द न अनुभव है कोमल
न आह किसी से पिघले दिल
अर्थहीन जग-जीवन तो
फ़िर आस कहां से लाऊं ( आस - उम्मीद )
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमनें जो
विश्वास कहां से लाऊं
विश्वास कहां से लाऊं
मुहावरे ढूँढो :
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मुहावरे ढूँढो :
चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं, देख लिया जब शेर ,
भीगी बिल्ली बना बहादुर , भागा लाई न देर |
पास हुआ तो फूला नहीं , समाया पप्पू राम |
घर बसाकर समझ ...
2 वर्ष पहले