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20 मार्च 2020

कोरोना और रक्तबीज


कोरोना .................
तुमने  पाँव पसारे ,
बिना विचारे |
न जाने कौन सा
अदृश्य पाप हो ?
पूरी धरा पर फैल गया
या कोई श्राप हो |
जो भी हो अब तेरा
कल्याण निश्चय हो जाएगा |
भारत की भू पे आके अब ,
विनाश तेरा हो जाएगा |
आया था एक बार पहले भी
एक रक्तबीज तेरी तरह |
फैल गया था हर जगह ,
वो भी तेरी ही तरह |
अपनी रक्त की बूँदों से
शक्ति बढ़ाता जाता था |
जितना भी मारा उसे ,
वह और बढ़ता जाता था |
किंतु ...........
माता दुर्गा ने ,
शक्ति अपनी दिखलाई थी ,
रक्तबीज हेतु उसने
जीभ अपनी फैलाई थी |
पी लिया था रक्त और
फिर , रक्तबीज का वध किया |
एक राक्षस हेतु माँ ने ,
चन्डी रूप धारण किया |

देखो क्या सौभाग्य है ?
माँ दुर्गा फिर से आ रही |
कोरोना जैसे दैत्य पर वो ,
काल बनकर छा रही |

जब जब धर्म की हानि से ,
कोई मानवता आहत हुई |
तब तब किसी रूप में
भगवान की आहट हुई |

 कण कण मे भारत भूमि के
उस शक्ति का निवास है |
यकीन मानो कोरोना अब
तेरा निश्चित विनाश है |

कोरोना का प्रसार मुझे श्री गुरु गोबिंद सिंग जी की उस रचना " चन्डी दी वार " की याद दिलाता है , जिसमें रक्तबीज का रक्त जहाँ पर गिरता है , वहाँ पर और रक्तबीज उत्पन्न हो जाते हैं | उस रक्तबीज को ख़तम करने हेतु देवी दुर्गा ने " चन्डी "का रूप धारण कर उसका लहू अपनी जीभ से चाटकर उसका ख़ात्मा किया |