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23 अप्रैल 2008

धरती माता ( कविता

Wednesday, April 23, 2008

धरती माता ( कविता)
धरती हमारी माता है,माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,ऐसा भी कुछ काम करो
आओ हम सब मिलजुल कर,इस धरती को स्वर्ग बना दें
देकर सुंदर रूप धरा को,कुरूपता को दूर भगा दें
नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,नैतिकता से काम करें
गंदगी फैला भूमि परमाँ को न बदनाम करें
माँ तो है हम सब की रक्षकहम इसके क्यों बन रहे भक्षक
जन्म भूमि है पावन भूमि,बन जाएँ इसके संरक्षक
कुदरत ने जो दिया धरा को ,उसका सब सम्मान करो
न छेड़ो इन उपहारों को,न कोई बुराई का काम करो
धरती हमारी माता है,माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,ऐसा भी कुछ काम करो
अपील:- विश्व धरा दिवस के अवसर पर आओ हम सब धरा को सुन्दर बनाने में सहयोग दें हमारी धरती की सुन्दरता को बनाए रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है.......
सीमा सचदेव

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

aapki kavita "dharti Mata" mujhe kafi achchi lagi. Shayad Apne Meri Kavita "Hindyugm" ki "Kavyapallavan" ke May mahine ke ank "Meri Pehli Kavita" Dekhi Hogi. Meri Kavita ka naam tha "MatraBhasha"-Govind Sharma

Prem Chand Sahajwala ने कहा…

धरती माता कविता में जिस निश्छल तरीके से धरती के प्रति श्रद्धा व्यक्त की गयी है वह सराहनीय है. सीमा जी को चाहिए की we और कवितायें likhen . भविष्य अच्छा है.

pallavi trivedi ने कहा…

bahut sundar kavita...

seema gupta ने कहा…

" ek acchee sunder rachna"

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुंदर लिखा है आपने

satya prakash ने कहा…

Bahut sunder