जैसे ही
चुनाव आयोग ने
चुनाव आचार सन्हिता का बिगुल बजाया
तो
नेता जी के शैतानी दिमाग़ ने
अपना अलग रास्ता बनाया
और
नेता जी को समझाया
अब छोडो मेरा साथ ,मेरा कहना
और कुछ दिन केवल
दिल के अधीन ही रहना
नेता जी
जो कभी-कभी
कविता लिखने का शौंक फरमाते थे
और
कभी-कभी अपने दिमाग़ के कारण
समीक्षक भी कहलाते थे
वही दिमाग
अब नेता जी को समझाता है
अरे !
चुनाव अभियान में
समीक्षक नहीँ
कवि ही काम आता है
कवि हो
तो उसका फायदा क्यो नहीँ उठाते
कुछ ऐसे नारे क्यों नहीँ बनाते
जिसमे हो
कुछ झूठे वादे,कसमे और लारे
जिसमे
फँस जाएँ भोले-भाले लोग बेचारे
बस
कुछ दिन मे तो
चुनाव खतम हो जायेगी
और
तेरी-मेरी फिर से
मुलाकात हो जाएगी
फिर
हम दोनो मिलकर करेंगे राज
और करेंगे दिल के मरीजों का इलाज
नेता जी
घबराये और बोले
तेरे बिना मै क्या कर पाऊँगा?
यूँ ही दिल के हाथो मर जाऊँगा
अरे!
मेरे होते तू क्यों घबराता है?
नेता का दिल भी तो
उसका दिमाग़ ही चलाता है
बस
फरक सिर्फ इतना है
कि दिल को थोड़े दिन्
रखना दिमाग से आगे
और
देखना लोग आएँगे
तुम्हारे पीछे भागे-भागे
बस
उनको दिल कि बातों से
बस में करना
और
दिमाग से नामान्कन भरना
होगा
तो वही जो तुम चाहोगे
पहले भी
लोगो को मूर्ख बनाया
आगे भी बनायोगे
जीतोगे
और तुम्हे सम्मान भी मिल जायेगा
लोगों की मूर्खता का
प्रमाण मिल जायेगा
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लेकिन
इस बार नेता जी के
दिमाग़ ने धोखा खाया
लोगो ने अपना दिमाग चलाया
और
नेता जी को
बाहर का रास्ता दिखाया
नेता जी
जो स्वयम को समझते थे
समाज का आईना
अब
स्वयम को
समाज के आईने मे पाया
मुहावरे ढूँढो :
-
मुहावरे ढूँढो :
चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं, देख लिया जब शेर ,
भीगी बिल्ली बना बहादुर , भागा लाई न देर |
पास हुआ तो फूला नहीं , समाया पप्पू राम |
घर बसाकर समझ ...
4 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
अब
स्वयं को
समाज के आईने में पाया।
काश ऐसा हो जाता। कहते हैं कि-
अभी जमीर मत बेचो कीमत बहुत है कम।
चुनाव आने पर भारी उछाल आएगा।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सही कहा है आपने सीमा जी,
अपना एक शेर याद आ गया,,,,,
रैली परचम और नारों से कर डाला बदरंग शहर
पब्लिक को फिर ठगने निकले नेता बनकर नटवर लाल
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