१.मां मैं जब भी मिलती हूं तुमसे
पहले से कमजोर ही दिखती हूं तुम्हें
यह तुम्हारी नज़र का धोखा है
या नज़र कमजोर है
२.मां तुम बातों ही बातों में
उगलवा लेना चाहती हो
मेरे सीने में दफ़न सच्चाई को
कितनी भोली और
मासूम हो तुम
३.दूर से आवाज़ सुन
जान लेती हो सबकुछ
तुम्हारा अंदाज़
कभी गलत नहीं होता
सत्य नापने वाली मशीन
हो क्या तुम ?
४. मैं रोती रही देर रात तक
सिराहने को तुम्हारी गोदि समझ
सो गई आराम से
पर आंखें तुम्हारी क्यों लाल हैं
५. कल रात मैनें खाना न खाया
किसी को भी न बताया
तुम क्यों उठ गई खाना छोडकर
भूख न होने का बहाना बनाकर
६. अपनें शब्दों से छू लेती हो
मेरे मन के घाव
इतनी दूरी से भी
कितनी आसानी से तुम
यह कला कहां से सीखी तुमने ?
७.कितने ही दर्द भाग जाते हैं
तुम्हारे स्पर्श भर से
कौन सा बाल्म लगाती हो
अपने स्नेहिल हाथों में ?
८.मेरे बालों में चलती
धीरे-धीरे तुम्हारी उंगलियां
हर गम भुला सुला देती हैं
क्या चुंबकीय आकर्षण है
उंगलियों में निद्रा का ?
९. बाज़ार में चलते हर चीज़ में
तुम्हारी सोच मुझ तक ही
सीमित हो जाती है
क्या तुम्हारी अपनी
कोई इच्छाएं नहीं हैं ?
१०.अपने कितने ही गम
छुपा लेती हो बडी सफ़ाई से
अपनी गहरी आंखों के रास्ते
दिल के किसी कोने में
इतनी सहनशीलता
कहां से आई तुममें ?
मुहावरे ढूँढो :
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मुहावरे ढूँढो :
चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं, देख लिया जब शेर ,
भीगी बिल्ली बना बहादुर , भागा लाई न देर |
पास हुआ तो फूला नहीं , समाया पप्पू राम |
घर बसाकर समझ ...
4 वर्ष पहले
6 टिप्पणियां:
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
Aapne to aankhen nam kar deen..
"मार्मिक-सम्वेदनशील क्षणिकाएं.....माँ के बारे में जितना लिखा जाए उतना ही कम है| किसी कवि की कविता में सम्पत्ति-बँटवारे में उसके हिस्से में माँ आई..तो मैं समझता हूँ कि वो कवि दुनिया का सबसे रईस कवि होगा.....बहुत बढ़िया लिखा."
सारी रचनाएं एक से बढकर एक .. इनकी संवेदनशीलता का जबाब नहीं .. जैसी वास्तव में मांए होती हैं !
Bahut hi badhiya.Aapko aur aapki soch ko namaskar.Ham apne samvednaaon ke prati agar thore sahaj ho jaayen to abhiwakti ki prasangikta ko arth mil jaata hai.Aapko badhayee ki aapne apni manobhawna ko bina kisi pradooshan ke vyakt kiya.Dhanyavaad meri rachna ko sarahne ke liye bhi..
bahut achhe trah se maa ke ahsas avem mamta ko parstut kiya hai aapne......byan karne ke liye alfaj nahi hain...bas yahi niklta hai ...wah..wah
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