जूते ने अब जो अपना सर उठाया है
पैरों से निकल जो बाहर को आया है
अपनी हस्ती को मिटाया है
तो पूरी दुनिया में छाया है
जिसकी नियति थी पैरों तले रहना
अब बन गया लोकप्रियता का गहना
पैरों से निकाल जूता सभा में चलाते हैं
चन्द पलों मे दुनिया में छा जाते हैं
विद्वान जो काम ताउम्र न कर पाते हैं
वही जूते चंद लमहों में कर जाते हैं
लोकप्रियता का सस्ता और टिकाऊ तरीका
जूता फ़ैंकने का सलीका
मशहूरी की सौ प्रतिशत गारण्टी
जूता न टूटने की वारण्टी
बशर्ते कि जूता फ़ैंक निशानेबाज न हो
वो स्वामी के प्रति दगाबाज न हो
कुछ ही क्षणों में सारा काम हो जाता है
स्वामी और सेवक का नाम हो जाता है
पूरी उम्र जूते घिसाए ,किसी ने न जाना
वही जूता फ़ैंका तो सबने पहचाना
क्यूं हर बार चूकता है जूते का निशाना
या फ़िर आता नहीं जूता चलाना
फ़ैंकने से पहले सीख तो लो चलाना
फ़िर अपनी जूतांदाजी दिखाना
भरी सभा में जूते चलाना
और लगाना विश्वास से निशाना
फ़िर देखना कैसी आफ़त आएगी
जाने किस किस की नियति बदल जाएगी
6 टिप्पणियां:
aapne to sahi nishana lagaya hai, narayan narayan
सुन्दर प्रस्तुति।
विधि बहुत सुन्दर लगी जूते का संधान।
गारण्टी मशहूरित मिलते कई प्रमाण।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
इस जूते का भी जवाब नहीं। तबियत से उछाला है। सही जगह लगा है।
achchhee kavita, par isase achchhee kavita Bush ke samay aapane likhee thee, is kavita me vo gaambheery nahee aa paayaa.
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद । राकेश जी जानकर अच्छा लगा कि आपको मेरी पहले वाली कविता याद है । अपने अमूल्य विचार प्रक्ट करने का शुक्रिया ।
इस जूते का भी जवाब नहीं। तबियत से उछाला है। सही जगह लगा है।
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