कविता के लिए वध
कहते है....?
कविता कवि की मजबूरी है
उसके लिए वध जरूरी है
जब भी होगा कोई वध
तभी मुँह से फूटेगे शब्द
दिमाग मे था बालपन से ही
कविता पढने का कीडा
न जाने क्यूँ उठाया
कविता लिखने का बीडा
किए बहुत ही प्रयास
पर न जागी ऐसी प्यास
कि हम लिख दे कोई कविता
बहा दे हम भी भावो की सरिता
कहने लगे कुछ दोसत
कविता के लिए तो होता है वध
कितने ही मच्छर मारे
ताकि हम भी कुछ विचारे
देखे वधिक भी जाने-माने
पर नही आए जजबात सामने
नही उठा मन मे कोई ब्वाल
छोडा कविता लिखने का ख्याल
पर अचानक देख लिया एक नेता
बेशर्मी से गरीब के हाथो धन लेता
तो फूट पडे जजबात
निकली मुँह से ऐसी बात
जो बन गई कविता
बह गई भावो की सरिता
सुना था जरूरी है
कविता के लिए वध
फिर आज क्यो
निकले ऐसे शब्द ?
फिर दोसतो ने ही समझाया
कविता फूटने का राज बताया
नेता जी वधिक है साक्षात
वध किए है उसने अपने जजबात
जिनको तुम देख नही पाए
और वो शब्द बनकर कविता मे आए
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श्री कृष्ण मोहन मिश्र
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व्यक्ति परिचय
नाम - कृष्णमोहन मिश्र
जन्मतिथि/जन्मस्थान - ७ दिसम्बर १९४८/ वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा-दीक्षा एवं कार्य - वाराणसी, इलाहाबाद और दास नगर (हा...
13 वर्ष पहले
2 टिप्पणियां:
सही है, बढ़िया.
सुंदर शब्द उत्तम भावः बधाई
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