टीस
हृदयासागर पर
भावनाओ के चक्रवात को
चीरती निकलती है
विनाशकारी लहर
बह जाती
अनजान पथ पर
तेज नुकीली धार बन कर
मापती अनन्त गहराई
बिना किनारे और
मन्जिल के
चलती बेप्रवाह
कही भी तो
नही मिलती थाह
या फिर
चीरती है
काँटे की भान्ति
मन-मत्सय के सीने को
निकलती है बस
आह भरी चीस
भर जाती हृदय मे टीस
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मुहावरे ढूँढो :
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मुहावरे ढूँढो :
चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं, देख लिया जब शेर ,
भीगी बिल्ली बना बहादुर , भागा लाई न देर |
पास हुआ तो फूला नहीं , समाया पप्पू राम |
घर बसाकर समझ ...
4 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
mun ki vyathaa par
shabdoN ka libaas...
achhi prastuti hai....
---MUFLIS---
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