बिखर गया जो तार-तार
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमने जो
विश्वास कहां से लाऊं
न दर्द रहा दिल में कोई
न रही कोई इसमें धडकन
पाहन से सीने में तो अब
न विचलित होता है ये मन
न आह रही इसमें कोई
तो प्यास कहां से लाऊं
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
नैनों से नीर नहीं बहता
न भाती इनको सुन्दरता
न भाव दिखें गहरे इनको
न रही है इनमें चंचलता
न इठलाते इतराते ये
तो पास कहां से आऊं
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
न भाव रहा न ही भंगिमा
न रही वो पहले सी गरिमा
न दर्द न अनुभव है कोमल
न आह किसी से पिघले दिल
अर्थहीन जग-जीवन तो
फ़िर आस कहां से लाऊं ( आस - उम्मीद )
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमनें जो
विश्वास कहां से लाऊं
विश्वास कहां से लाऊं
मुहावरे ढूँढो :
-
मुहावरे ढूँढो :
चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं, देख लिया जब शेर ,
भीगी बिल्ली बना बहादुर , भागा लाई न देर |
पास हुआ तो फूला नहीं , समाया पप्पू राम |
घर बसाकर समझ ...
4 वर्ष पहले
11 टिप्पणियां:
अर्थहीन जग-जीवन तो
फ़िर आस कहां से लाऊं
एहसास गहरे है
सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर भावपुर्ण रचना । टूटे रिश्ते जुड़्ते है, मगर निशान दिखाई देते है। टूटा विश्वास भी जुड़ता है, मगर गांठे रह जाते है। अच्छी कविता ॥
आपकी इस भावभरी कविता में बहुत पीड़ा भरी है.
.आपकी रचना पसंद आई।
बहुत सुन्दर रचना!
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमनें जो
विश्वास कहां से लाऊं
....बहुत सुन्दर रचना!
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमनें जो
विश्वास कहां से लाऊं
विश्वास कहां से लाऊं
Ek baar vishwas toot jay to phir kahi n kahin kuch kasak rah hi jaati hai. Man kee peeda bayan karti aapki rachna bahut achhi lagi.
Bahut shubhkamnayne.
Tod diya jo tumne,
Wo ahsaas kahan se laaun!!?
Aaagya ho to Rahim ka ek doha aapki aawaaz mein mila deta hoon, praasangik hai....
Rahiman dhaaga prem ka,
Mat todo chatkaaye!
Jode se phir na jude,
JO jude gaanth pad jaaye!!!
बिखर गया जो तार-तार
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमने जो
विश्वास कहां से लाऊं
न दर्द रहा दिल में कोई
न रही कोई इसमें धडकन
पाहन से सीने में तो अब
न विचलित होता है ये मन
न आह रही इसमें कोई
तो प्यास कहां से लाऊं
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
Kya gazab likhtee hain aap! mai to nishabd ho gayee hun!
बहुत सुन्दर भावपुर्ण रचना । टूटे रिश्ते जुड़्ते है, मगर निशान दिखाई देते है।
तुम्हीं बताओ पहला वो
अहसास कहां से लाऊं
तोड दिया खुद तुमनें जो
विश्वास कहां से लाऊं
hal e dil ko khubsurati se byan kiya hai...savedanshil rachna hai...bahut khub
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