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28 जुल॰ 2020

पुत्री कभी पराई न होना ,

पुत्री कभी पराई न होना ,
दुनिया का दस्तूर है ,
हम भी बहुत मजबूर हैं ,
देनी तुम्हें विदाई है ,
वही शुभ घड़ी आई है ,
नव-जीवन की उषा में तुम
हमें देख मत रोना ,
पुत्री कभी ...........
तेरे अश्रू छलक गए तो ,
हम भी रोक न पाएँगे |
अपनी प्यारी बिटिया को हम
नहीं विदा कर पाएँगे |
बिन तेरे सूना आँगन ,
होगा खाली हर कोना
पुत्री कभी................
नए घर में जाओगी तुम ,
नव -संसार बसाने को ,
 नई होगी ज़िम्मेदारी ,
दुनिया की रीत निभाने को ,
 पुत्री से पत्नी का सफ़र
नहीं होगा खेल-खिलोना
पुत्री कभी ................
याद हमें वो पल आएँ ,
तू जब गोदी में आई थी ,
नन्हे-नन्हे हाथों में भर ,
ढेरों खुशियाँ लाई थी |
तेरी किलाकारी सुन सुन
न रात-रात भर सोना |
पुत्री कभी ..............
नन्हे-नन्हे कदमों से तू
पूरे घर में चलती थी ,
पायल की छनकार  मे तू
जब गिरती और संभलती थी
माँ की गोदि में आकर ,
मीठी निद्रा में सोना |
पुत्री कभी ..................
छोटे-छोटे खेल-खिलौने
छोटी थी गुड़िया रानी ,
कभी सजाती स्वयम् हाथ से
घर-गृहस्थी की बन रानी
आज वही सच में दिन आया
पूरा स्वपन सलोना ,
पुत्री कभी .........
खुशी-खुशी जाओ घर अपने
पूरे हों तेरे सब सपने ,
अपने सपनों की दुनिया को
सच में अभी संजोना
द्वार खुले मेरे दिल के ,
तुम उससे विदा न होना
पुत्री कभी ..............

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