माँ (बारह क्षणिकाएँ)
आजकल माँ
बहुत बतियाती है
जब भी फोन करो
आस-पडोस की भी बाते सुनाती है
२.
न जाने क्यो लगता है
माँ की आँखे नम है
उसे कही न कही
कुछ खो देने का गम है
३.
सुबह सबसे पहले उठ कर
सारा काम निपटाती है
मेरी काम वाली आई कि नही
इसकी चिन्ता लगाती है
४.
कहती है आजकल
पेट खराब है
और मेरी आवाज़ को
हाजमौला बताती है
५.
लगता है अभी आएगी
ले लेगी मुझे गोदि मे
और फिर प्यार से
मेरे सर मे उन्गलियाँ चलाएगी
६.
कई बार
चुप सी रहती है
मुँह से कुछ नही कहती
पर आँखे बहुत कुछ बोलती है
७.
हर रोज
मुझे फोन लगाती है
खाना खाया कि नही
याद दिलाती है
८.
अपनी पीडा के आँसु
पलको मे छुपा कर
मेरी पीडा मुझसे उगलवाती है
९.
खुद तो सारी उम्र
न जाने कितना ही त्याग किया
मेरे छोटे से समझौते को
बलिदान बताती है
१०.
आजकल माँ
सपनो मे आकर
मुझे लोरी सुनाती है
हर जख्म को सहलाती है
११
सबसे प्यारी
सबसे अलग
ममता की मूर्त्त
माँ तुम ऐसी क्यो हो ?
१२.
माँ आजकल
तुम बहुत याद आती हो
जी चाहता है अभी पहुँच जाऊँ
इतना स्नेह जताती क्यो हो ?
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मुहावरे ढूँढो :
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मुहावरे ढूँढो :
चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं, देख लिया जब शेर ,
भीगी बिल्ली बना बहादुर , भागा लाई न देर |
पास हुआ तो फूला नहीं , समाया पप्पू राम |
घर बसाकर समझ ...
4 वर्ष पहले
4 टिप्पणियां:
bahut sunder rachanye seema ji
माँ आजकल
तुम बहुत याद आती हो
जी चाहता है अभी पहुँच जाऊँ
इतना स्नेह जताती क्यो हो ?
bahut bhaawok rachna.......
क्या कहूं ऐसा लगता है दिल की बातें लिख दी हैं जैसे ममता के आँचल पर...
अनमोल हैं...
आँख भर आई.......
अक्षय-मन
bahut pyaaree kavitaa..achchha bhar kahna kaafee naheen hai
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