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6 जन॰ 2009

कुत्तों की सभा- एक हास्य-व्यंग्य कविता

कुत्तो की सभा
कुत्तो ने इक सभा बुलाई
सबने अपनी समस्या सुनाई
सुन रहा कुत्तो का सरदार
हर समस्या पे होगा विचार
समस्या अपनी लिख कर दे दो
कोई एक फिर उसको पढ दो
हर समस्या का हल ढूढेन्गे
जो भी होगा सब करेन्गे
आई समस्याएँ कुछ ऐसी
चलते फिरते मानव जैसी


समस्या आई नम्बर वन
भौक के बीत गया यह जीवन
भौन्कने मे थे बडी मिसाल
पर नेता ने समझ ली चाल
भौन्कता है वो हमसे ज्यादा
हमे फेल करने का इरादा



समस्या नम्बर आई दो
सुनाई कुत्ते ने रो-रो
अब तो कोई करो इन्साफ
करदो मेरी गलती माफ
मैने इक हड्डी थी उठाई
गली मे लावारिस थी पाई
उठा कर क्या गलती की मैने
अब तक मुझको मिलते ताने
पानी मे दिख गई परछाई
मैने समझा मेरा भाई
भाई समझ कर मै था भौन्का
लोगो को बस मिल गया मौका
लालची कहकर लगे चिढाने
बच्चो को शिक्षा के बहाने
सबने मुझको लालची कह दिया
मैने मुकदमा दायर कर दिया
तब तो था मुझमे भी जोश
पर अब उड गए मेरे होश
नही और मै लड सकता हूँ
न समझौता कर सकता हूँ
लालची सुनकर पक गया हूँ
अब मै सचमुच थक गया हूँ
दिख गई मेरी एक ही हड्डी
पर खाते जो रोज सब्सिडी
उनको कोई लालची नही कहता
उनका चेहरा कभी न दिखता
कहते-कहते भर आया मन
कुत्ते के गिर गए अश्रु कण


पानी पिलाकर चुप कराया
अब तीसरी समस्या को लाया
उठते मेरी दुम पे स्वाल
कैसे है लोगो के ख्याल
बोले कभी सीधी नही होती
बारह साल दबाओ धरती
जो मेरी दुम सीधी होगी
तो क्या जगह को साफ करेगी
बताओ फिर यह कैसे हिलेगी ?
हिलाए बिना न रोटी मिलेगी
मेरी दुम के पीछे पडे है
किस्से करते बडे बडे है
पर नही सीधे होते आप
टेढे हर दम करते पाप


अब सुनो समस्या फोर्
कहते मुझको पकडो चोर
बताओ मै किस-किस को पकडूँ
किस-किस को दाँतो मे जकडूँ
मुझे तो दिखते सारे ही चोर
कहाँ-कहाँ मचाऊँ मै शोर



समस्या नम्बर आई फाईव
देखो समचार यह लाईव
हुई है नई कम्पनी लाँच
बाँध के रखे है कुत्ते पाँच
कहते है कुत्ते है वफादार
बाँधो इन्हे बिल्डिन्ग के द्वार
अन्दर बैठे धोखेबाज
कैसे -कैसे है जालसाज
भौन्के जब उन दगाबाज पे
तो बन जाए उनकी जान पे

अब आई है समस्या सिक्स
कैसे हो जाएँ सबमे मिक्स
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बस करो ! सरदार चिल्लाया
गुस्से मे फरमान सुनाया
पीले से मै हो गया काला
लगा न तेरे मुँह पे ताला

झट से अपना बुलाया सहायक
यह सारे तो है नालायक
तुम एक सॉफ्टवेयर बनवाओ
सारा डाटा फीड कराओ
फिर हम उसमे सर्च करेन्गे
समस्याओ का हल ढूँढन्गे
मेरे पास कभी न आना
पर जब चाहो मेल लगाना
मिनटो मे हल होगी समस्या
नही करोगे कोई तपस्या
इक सी.सी.टी.वी. लगवाओ
मेरे कैबिन मे फिट कराओ
नज़र मै अब हर पल रखुँगा
सबसे ही इन्साफ करूँगा
जो हुआ ! उसको जाने दो
क्षमा अब नादानो को करदो
पर आगे से रहे ध्यान
कुत्तो का न हो अपमान
ऐसी कोई गलती न करना
मेरे सम्मुख कभी न रोना




***********************************
इन दोनो तस्वीरों को देख कर ही यह कविता लिखी थी मुझे याद नहीं मैने यह चित्र कहां देखे और सेव कर लिए किसी को कोई आपत्ति हो तो लिखें ,यह चित्र हटा दिए जाएंगे धन्यवाद

14 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

मस्त रही आपकी कविता............बहुत ही अच्छा लिखा है

Shamikh Faraz ने कहा…

kafi achhi kavita hai. badhai sweekar karen.

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

बहुत सटीक व्यंग किया है उदहारण के लिए सही मोहरा चुना है,,,,,,,,,


अक्षय-मन

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

व्यंग्यात्मक रचना किंतु कुछ लम्बी है,
फ़िर भी आप अपने उद्देश्य में सफल रहे हैं
- विजय

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

एक दम मस्‍त बोले तो बिंदास

Ashutosh ने कहा…

acchi kavita hai, kabhi aap mere blog ke follower baniye.mere blog hai:
http://meridrishtise.blogspot.com

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

वाह.. वाह.. बेहतरीन व्यंग्य के लिये बधाई स्वीकारें...

vijay kumar sappatti ने कहा…

kya baat hai ji

aapne to hansi dilwa di ,

wah wah ..

badhai ..

maine kuch nai nazme likhi hai ,dekhiyenga jarur.


vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/

manu ने कहा…

agar is kavita ke saath apne chitron ko dekh kar koi aapatti kare to wo chitra kaar kabhi bhi naheen ho saktaa...........
use to ahsaan mand hona chaahiye lekhikaa kaa jisne use maan diya ..
chaahe wo koi bhi ho

बेनामी ने कहा…

KUCH SHABD HI NAHI MIL RAHE HAI,KARARA JABAB ,LAGE RAHO.........

anu ने कहा…

mane yaha kabita apane college me sunai sabi ko mast lagi
bahut acha vyayga kiya hai
mind bloing...............

Unknown ने कहा…

photos ko hatayein

susheelkumar sharma ने कहा…

रूबी कुतिया ने,
बच्चों में खेल रहे,
अपने पिल्ले टॉमी को डाटा,
खबरदार जो तूने,
किसी इन्सान के बच्चे को काटा।
बेटे,
बदला लेना इंसान की फितरत है,
वह अपने बाप से नहीं चूकता,
तुझे क्या छोड़ेगा।
तेरे काटने पर,
इंसान का बच्चा,
अधिक से अधिक रो देगा।
पर यदि उसने तुझे काट लिया तो,
तू अपने कुत्ते होने का एहसास भी खो देगा।
कुत्ते होने का एहसास!
अरे, इसके अलाबा,
और है ही क्या हम गरीबों के पास।
यही वह बोध है जो हमें,
वफादारी, ईमानदारी और स्वामिभक्ति,
जैसे गुणों से जोड़ता है।
जबकि इंसान, इन गुणों का,
सिर्फ लबादा ओढ़ता है।
ठीक है, हम दोगले हैं,
हमारी पैदाइश अवैध है,
शायद इसलिए कि,
हमें अपने बाप का पता नहीं,
पर इन्सान, उसे क्या कहा जाये,
जिसे अपने 'आप' का पता नहीं।
इसीलिए तो कहती हूँ बेटे,
दूर रह इनसे,
मत खेल इनके साथ,
पिल्ला बोला, माँ,
मेरी समझ में नहीं आती,
तुम्हारी बात।
तुम्हें तो मेरी हर बात,
बुरी नज़र आती है,
जरा सोचो,
इन बच्चों की माँ मुझे,
स्वादिष्ट भोजन खिलाती है।
इसमें क्या हर्ज़ है?
बच्चे को सुखी देखना तो,
हर माँ का फ़र्ज़ है।
माँ मुस्कुराई,
बोली-"आखिर आ ही गया न, सोहबत का असर,
हो गया न इन्सान की तरह खुदगर्ज़।
और पूछता है इसमें क्या हर्ज़।
बेटे, इन बातों को तू क्या जाने,
अभी बच्चा है।
पर याद रख,
कोठी की चौकसी करने से,
गलियारे का कुत्ता बना रहना,
कहीं अच्छा है।
जो खुद जंजीरों में जकड़ा है,
वह दूसरों की रक्षा कैसे कर सकता है।
जिसका स्वाभिमान ही मर चुका हो,
वह, जाति, समाज और देश के लिए,
कैसे मर सकता है।
माँ की धिक्कार ने,
बेटे में प्राण फूंक दिए,
उसने मुंह के सारे पकवान थूक दिए,
बोला, माँ आज से मेरे मन पर,
मेरी आत्मा पर,
सिर्फ और सिर्फ तेरा अधिकार है।
तेरा बेटा, अब खुदगर्ज़ नहीं, खुद्दार है।
मेरेऊपर जो इंसानी फितरत का असर था,
आज तूने वह साफ़ कर दिया,
माँ बस एकबार कह दे,
मुझे माफ़ कर दिया।
मेरा वादा है,
तुझे दिया वचन,
मैं कभी नहीं तोडूंगा।
सब-कुछ छूट जाये मगर,
अपना गलियारा,
कभी नहीं छोडूंगा।
कोठी के बच्चे और बड़े,
सभी, उन दोनों को बुला रहे थे।
पर वे दोनों माँ-बेटे,
इंसानों से दूर,
अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे।
एक पल को,
दोनों ने पीछे मुड़कर देखा,
और फिर चल दिए,
मानो, कह चले हों,
देखो, हम तुम्हारा,
कुछ भी नहीं ले जा रहे हैं।
हम,
कुत्ते होने का एहसास लिए आये थे,
और,
उसी के साथ जा रहे हैं,
तुमसे
दूर, बहुत दूर, बहुत दूर..

बेनामी ने कहा…

Kavita achhi hai mai bhi likhta hu raj choudhary mob.9828418906 chittor(RAJ.)