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21 जन॰ 2009

कौन है वो

कौन है वो

वो जो बैठी है चौराहे पर
वो जो ताकती है इधर-उधर
वो जिसकी भूखी है निगाहे
वो जो पी रही पीडा के आँसु
वो जो मिटा रही हवस की भूख
वो जो खुद हरदम भूखी
वो जिसकी मर चुकी सारी चाहते
वो जो जीती है दूसरो की खातिर
वो जिसका कोई मूल्य नही
वो जो अर्धनग्न है ...
शौक से नही मजबूरी से
वो जो देती है अल्ला का वास्ता
वो जिसकी आदत है हाथ फैलाना
वो जो बनाती है हर दिन न्या बहाना
वो जो पेट के लिए पेट दिखाती है
और किसी की
भूख का शिकार हो जाती है
खुद भूखी ही सो जाती है
वो जो सडक किनारे सो जाती है
वो जो बिना बात बतियाती है
वो जो मुँह मे बुदबुदाती है
वो जो भाव हीन है
वो जिसका जीवन रसहीन है
वो जो फटे कपडे से तन ढाँपती है
वो जिससे मृत्यु भी काँपती है
वो जिसने बस मे किया है अपना मन
जो नही कर सकता साधारण जन
वो जिसने सुखा दिया है
अपने आसुँओ का पानी
वो जिसके लिए कोई ऋतु नही सुहानी
सर्दी ,गर्मी,बरसात
सबमे एक सी रहती है
धूप को छाँव और सर्दी को गर्मी कहती है
कौन है वो.............?
कोई माँ ,पत्नी ,बहु या किसी की बेटी
या फिर
पता नही कौन .....?
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2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

bahut sundar.....

amitabhpriyadarshi ने कहा…

achaanak niralaa ki yad dila di aapne. lagta nahi ki yahi aaj ke samaj ki tasweer hai.
aaj insaniyat itnee mar gayee hai ki chahton ka marna, pet ke liye pet dikhana aur aansuon ka sukhnaa lazimee hai.